Tuesday, January 03, 2006

नेता

(कविता के बारे में: ये मेरे द्वारा लिखी गयी एकमात्र संस्कृत रचना है। ये श्लोक मैनें ७वी कक्षा में लिखा था। यद्यपि यह पूरा संस्कृत में नहीं है, फिर भी एक संस्कृत श्लोक का आभास दिलाता है।)

राजनेता, अनोपकारम्, अभद्र्ता तथैवच।
भ्रष्टाचारी, कुर्सी न त्यागी, मंत्रित्व पंचलक्षणम्॥

(वे पाठक जो इस में छिपा रहस्य नहीं ढूंढ पाए, मैं वह श्लोक भी प्रस्तुत कर देता हूँ जिससे यह बनाया गया है:

काकचेष्टा, बकोध्यानम्, स्वाननिद्रा तथैवच।
स्वल्पाहारी, गृहीत्यागी, विद्यार्थी पंचलक्षणम्)

-अम्बुज सक्सेना

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